एक बार संत गौतम बुद्ध अपने चेले के साथ जा रहा था। तब चेले ने उनसे अपनी फटी हुई पोशाक दिखाकर उसकी जगह नयी पोशाक की जरूरती की बात की। गौतमबुद्ध ने उसे देखा और उसे एक धोती खरीदकर दी। दोनों आश्रम लौटे।
रात सोते वक्त बुद्ध को यह बात सूझी कि शायद वह अपने शिष्यों को उनकी जिम्मेदारी की जानकारी दिया या नहीं।इसे जानने के लिए वह अपने चेले के पास गया।
चेले ने उन्हें प्रणाम करके स्वागत की। बुद्ध उससे पूछा,
“नया धोती पहने हो,ठीक है, लेकिन पुराने धोती को क्या किया?
चेला ःः पुराने धोती मेरी बिस्तर पर चादर बनी।
बुद्ध ःः तो पुराने चादर को क्या किया?
चेला ःः वह मेरी खिडकी की चिलमन बनी।
बुद्ध ःः पुराना परदा?
चेला ःः फर्श पोछने का कपड़ा ज्यादा ही टुकड़े हो गये। इसलिए इस परदे को फर्श साफ करने के लिए रख दिया।
बुद्ध ःः और उन फटी हुई टुकड़ों को क्या किया?
चेला ःः उन्हें रात की बत्ती जलाने में इस्तेमाल करुँगा।
चेले की इन बातों से बुद्ध तुष्ट होकर लौटे।
उन्हें अपने शिष्य किसी भी चीज को बेकार किए बिना हर एक की पूरी तरह से इस्तेमाल करने की आदत पर असीम खुशी हुई।