स्टीव जॉब्स जिसने *ऐ पाड, ऐ फोन * की आविष्कार की, उनके उल्लेखन ।
वे मरते समय करोडपती थे। मरने से पहले उन्होंने अपने मन के भावों को इस तरह उल्लेखित किए हैं।
मैं ने आर्थिक रंग में तो ऊँचाई प्राप्त की हूँ और कई लोगों का मिसाल भी बना हूँ। आखिर सिर्फ दौलत ही मेरे पास रहा। इसे कमाने में ही मैं अपनी पूरी जिंदगी बिताई।
लेकिन अब मैं इस मरणशय्या में लेटकर बीती जिंदगी को याद करके देखूँ तो मैं ने सिर्फ दौलत कमाना ही अपना जिंदगीभर का मकसद समझा और कामयाब भी बना , वह सब अब मुझे बेकार लग रहा है।
अपने कार चलाने के लिए ड्राइवर रख सकते हैं, लेकिन अपनी बीमारी को तो किसी को नहीं दे सकते, सिर्फ हमें ही भुगतना पडेगा। दौलत से बढकर एक विषय है, वह है जीवन।
आपरेशन थिएटर जाने से पहले सबको यह बात याद में आना चाहिए *सेहत*।
परिवार , बीवी,बच्चों के साथ जरूर प्यार से बात कीजिए। अपने तन्दुरुस्ती के बारे में भी ध्यान रखिए।
हमारे उम्र के साथ हमें परिपक्वता भी मिलती है, तब हम यह भी महसूस करते हैं कि 100₹ की घडी हो या 100 डालर की घडी , दोनों में समय तो बराबर ही होती है। आप 300 स्क्वायर फीट घर में रहें या 3000 स्क्वायर फीट घर में अकेलापन तो एक ही है।
सच्चाई यही है कि जिंदगी में खुशी कभी भी भौतिक वस्तुओं से नहीं मिल सकती । इसलिए मेरा कहना है, आप अपने जीवन में सबके साथ प्यार से बात कीजिए, उनके साथ अपना समय व्यतीत कीजिए। अपने परिवार के साथ जरूर रहने का मौका बनाइए।
अपने भाई बहन, रिश्तेदारों के साथ खूब मस्ती कीजिए। उनके साथ मिलकर खाना, पीना, खेलना,गप्पे करना। ऐसे रहने से हमारी जीवन में बोझ हल्का होने का महसूस कर सकते हैं।
जो भी इस टिप्पणी को पढते हैं, अवश्य सबसे श्येर कीजिए।
मेरे अनुभव में यही असली खुशी है।