पापा

आप लाखों में एक। आप जैसे इनसान को इस जमाने में देखना दुर्लभ है। आप मधुर भाषी , दयालु, मित्रवत साजन हैं। इसी कारण आपके विराम के इतने सालों के बाद भी लोग आप पर इतना इज्ज़त और प्यार रखें हैं।

आप काम करते वक्त कभी भी किसी भी तरह की पक्षपात नहीं दिखाए। आप सदा ही मामूली और सीधा सादा आदमी ही रहे। सदा सबका ध्यान रखते हैं। चपरासी के साथ भी कभी आप अपनी अधिकार नहीं दिखाए।आपके संस्था के शताब्दी आप ही के नेतृत्व में मनाया गया था, यह तो सचमुच सौभाग्य की बात है।

आप कभी भी किसी भी धर्म का द्वेष नहीं की। आपके नजरों में भगवान एक ही है। आपके इस महत्वपूर्ण गुण पर मुझे गर्व होती है।

आपकी सादगी और भोलेपन, भगवान पर भरोसा आदि विशेष गुणों के कारण आप सदा के लिए सबके दिलों में अडिग रहे।

आप भगवान के चरणों पर पहूँचे और वहाँ से हमें इस दुनिया में सच्ची राह दिखाइए।

आपके अस्तित्व को खोने पर भी आप सदा के लिए हमारे दिलों में विराजे हैं।

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