अक्षय तृतीया, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया दिन की बहुत ही विशेषता है।
महाविष्णु के परशुराम के अवतार इसी दिन हुआ। पुण्य नदी गंगा मैया इसी दिन हमारे धरती पर आविष्कार हुई। त्रेतायुग का आरंभ अक्षय तृतीया के दिन हुआ। इसी दिन में अपने बचपन के दोस्त श्री कृष्ण से कुचेल का मुलाकात हुई। वेदव्यास महाभारत ग्रंथ का लेखन अक्षय तृतीया के दिन में ही शुरू किए। पांडवों को वनवास काल में अक्षय पात्र इसी दिन मिली। जगत्गुरु श्री आदिशंकराचार्य अक्षय तृतीया के दिन में ही कनकधारा स्तोत्र द्वारा एक गरीब महिला को दारिद्रय् से मुक्ति करवाए। धनाधिपती कुबेर को अपना खोया हुआ दौलत इसी दिन वापस मिला। माता अन्नपूर्णा देवी की आगमन अक्षय तृतीया के दिन में हुई।

अक्षय तृतीया के दिन दान – धर्म करने के लिए सही दिन माना जाता है। कहा जाता है कि, इस दिन में यदि हम छिपकली को देखें तो हमारे सारे परेशानियां दूर हो जाती है।
Nice Post
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Thank you and wish you the same Padmaja 🙂
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