द्वंद्व युद्ध

श्री कृष्ण के अद्भुत विश्लेषण।

महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध भूमि पर कर्ण और अर्जुन के बीच में द्वंद्व युद्ध चल रहा था। दोनों में से किसी का भी जीत मुश्किल था। घोर संग्राम हो रहा था। अर्जुन अपने एक तेजपूर्वक अस्त्र से कर्ण के रथ को लगभग १००/ गज की दूरी पर धकेल दिया। लेकिन फिर भी कर्ण ने आगे बढ़कर वैसे ही विशेष अस्त्र को अर्जुन के रथ पर प्रयोग किया। इससे अर्जुन का रथ १०/ गज की दूरी तक पीछे गई। इसे देखकर श्री कृष्ण कर्ण की बड़ी प्रशंसा की।

इस प्रशंसा पर अर्जुन को गुस्सा आया। इससे पहले कर्ण ने अपने मुकुट को एक बार गिराया जो बहुत ही पराक्रमी काम था, लेकिन अब की बार अपने से दस गुना कम दूरी पर रथ को पीछे धकेलने पर श्री कृष्ण उसका प्रशंसा करना आश्चर्य की बात लगी।

शाम को आराम करते समय अर्जुन ने श्री कृष्ण से अपने मन की आशंका को प्रकट किया। श्री कृष्ण ने कहा कि ” यह दूरी की बात नहीं बल्कि भारी की बात है। पार्था !! तुम ऐसा समझ रहे हो कि दोनों रथों पर सिर्फ दो लोग उपस्थित हैं। क्या इस बात को भूल गए हो कि तुम्हारे रथ पर हनुमानजी के ध्वज फहराया गया है, जो सदा तेरी रक्षा कर रहा है। जब भी तुझ पर मंत्रास्त्र का प्रयोग होता है, हनुमान उन मंत्रों को शक्तिहीन कर देता है। इस बार भी कर्ण तुझ पर जो अस्त्र का प्रयोग किया है, उसे रोकने के लिए हनुमान ” महिमा” सिद्धि की प्रयोग करके, रथ को पर्वत जैसा मजबूत बना दिया, फिर भी कर्ण इतना मजबूत रथ को भी दस / गज दूरी पीछे कर सका।। इस वीरता को ही मैं ने प्रशंसित किया। “। इसे सुनकर अर्जुन को अपने घमंडी पर शर्म हुआ और उसने श्री कृष्ण से माफी मांगी।

जय श्री कृष्ण। 🙏

7 thoughts on “द्वंद्व युद्ध”

Leave a comment