तमिलनाडु के ब्राह्मण लोग ज्यादातर ८०-९५ साल तक जीवित रहते हैं। वे बहुत कम खाते हैं। वे लोग फिल्टर काफ़ी और छाछ को खास जगह देते हैं।

चावल, सांबार, रसम्, छाछ और एक सब्जी के साथ उनके दैनिक भोजन होती है। ४०% लोगों में मधुमेह होने पर भी काबू में ही रहती है।
सुबह छः बजे को एक फिल्टर काफ़ी और शाम ४ बजे और एक फिल्टर काफ़ी बस। सुबह ८-९ बजे को दो दोसा या तीन इड्ली खाते हैं। दुपहर को भोजन और रात ८ बजे को ३-४ रोटी- सब्जी या दही चावल खाते हैं।
हर दिन सुबह और शाम आधे घंटे तक पार्क में पैदल चलना इनके लिए जरूरी है। स्नान करके विष्णु सहस्रनाम, रुद्रं ,चमकम् , आदि जरूर पढ़ते हैं। प्रातः काल और संध्या काल में संध्या वंदन करना उनके लिए अनिवार्य है।
वे लोग बचत करने में ज्यादा ध्यान देते हैं। सब्जी खरीदना, बैंक जाना या विद्युत कार्यालय जाना इत्यादि काम करने में यदि करीब में हों तो पैदल ही जाते हैं।
अस्वस्थता इन लोगों में कम ही नजराती है क्योंकि इन लोगों के भोजन में नमक और तेल की इस्तेमाल बहुत कम होती है। उनके खाने में फ़ास्ट फ़ूड का जगह ही नहीं होती है। कभी किसी के पार्टी में साल में एक या दो बार हो सकता है। कम मसाले और कम तेल की इस्तेमाल के कारण इन लोगों में गुस्सा करनेवाले लोग ज्यादातर नहीं दीखते हैं।
इन लोगों में तनाव कम होने का कारण यही है कि, “जाने दो ” जैसे मनोभाव और सब कुछ ईश्वर की लीला समझकर भगवान पर पूरी तरह से भरोसा रखते हैं।
यहां तमिलनाडु में उनकी जन संख्या बहुत कम है। यहां के द्राविड़ राज्य सरकार उन्हें सबसे वंचित करती है और उन्हें कश्मीरी पंडितों की तरह निकालना भी चाहती है। अपने शांत गुण के कारण यहां वे लोग चुपचाप रहते हैं।
फिर भी विदेशों में और हमारे भारत देश के अन्य हिस्सों में उन्हें अच्छी तरह से आदर सत्कार मिल रहा है। इस तरह ये लोग अपने आध्यात्मिकता और शाकाहारी भोजन विधान से लंबी उम्र तक जीवित रहते हैं।
Very nice
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Very informative article 🦋
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Yes 👍
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आध्यात्मिकता और शाकाहारी भोजन, यह जीवन शैली बहुत अच्छी है
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अगर आप मेरे पोस्ट पर कुछ लिखें तो मुझे अच्छा लगेगा।
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Ok sure 😊
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So nice of you 🙏
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शाकाहार से बेहतर कुछ भी नही। खूबसूरत पोस्ट।👌👌
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अंडमान निकोबार की बहुत सी जातियां केवल आधुनिक मानव जाति से संपर्क में ही नष्ट हो गई।
लेकिन…
ब्राह्मण ना बाजार जाता है,
ब्राह्मण ना आम जनता के बीच जाता है।
कावड़ यात्रा तक में नही जाता।
ब्राह्मण की जनसंपर्क से दूरी ही उन्हें तमाम बीमारियों दूर रखती है।
इसके विपरित चतुर्थ वर्ण दुनियां भर के प्रदूषण में रहने के बाद भी यदि वे रिटायरमेंट के आगे 20–30साल तक जीवित रह लेता है तो ये उसका मजबूत इम्यून सिस्टम ही तो है।
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Well written thanks 👌👌
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Amazing very very informative 😇
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