राष्ट्रीयता 🇮🇳

वर्ष १९६५, भारत, पाकिस्तान के बीच कश्मीर को अपने कब्जे में लेने के लिए घोर संग्राम चल रहा था। और इस युद्ध में पाकिस्तान का हाथ बढ रहा था। भारत को तुरंत अतिरिक्त सेना की जरूरत थी। श्रीनगर के मुख्यालय को राजधानी दिल्ली से एक संदेश आई कि किसी भी तरह से श्रीनगर के हवाईअड्डे को बचाने की और अतिरिक्त सेना को भेजने की हामी दी।

लेकिन अफसोस की बात यह थी कि श्रीनगर में कड़ी बर्फ की बारिश हो रही थी और हवाईअड्डे की रनवे पर बर्फ जम गई थी। उसे निकाले बिना हवाईजहाज का उतरना नामुमकिन था। तब समय था रात ११बजे। तत्कालीन कूली रख लेने की इजाजत दी गई। फिर भी काम करने के लिए कोई नहीं मिला।

तभी एक अधिकारी को संघपरिवार की याद आई। तुरंत वे श्रीनगर के संघपरिवार के कार्यालय आए। वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवकों के मीटिंग चल रहा था। प्रेमनाथ और अर्जुन जैसे नेता वहां पर मौजूद थे। उनसे आफिसर श्रीनगर के हवाईअड्डे पर बसा हुआ बर्फ तुरंत निकालने के लिए स्वयंसेवकों के मदद मांगी।

करीब ५०लोगों तक की जरुरत थी। चार घंटों के अंदर बर्फ को निकालना था। अर्जुन ने ६०० लोगों को भेजने के लिए तैयार था। और ४५ मिनटों में सब आफिसर के साथ जाने के लिए तैयार हो गए। आफिसर को इस विषय पर बहुत खुश हुआ और उसने संघपरिवार के सदस्यों को अपना धन्यवाद व्यक्त किया।

बर्फ निकालने की काम शुरू हुई। आफिसर ने दिल्ली कार्यालय को यह संदेश भेजकर अगले दिन अतिरिक्त सेना को भेजने की विनती की। अगले दिन २७ अक्टूबर को आठ हवाईजहाज श्रीनगर आ पहूंची। सेना का भी संघपरिवार के सेवकों ने साथ दिए। इस तरह हमारे हवाईअड्डे को बचाने में स्वयंसेवकों के सहारे भारत सेना कामयाब हुई। और इस परिश्रमी काम करने के लिए स्वयंसेवकों ने वेतन नहीं ली।

” न फूल चढ़ें। न दीप जले। ” पुस्तक के आधार से।

https://www.goodreads.com/book/show/38345424-na-phool-chadhe-na-deep-jale

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि से। जय भारत। 🇮🇳 वंदे मातरम। 🙏

9 thoughts on “राष्ट्रीयता 🇮🇳”

  1. Excellent , dear Padmaja. Very well written. A truly heart touching story of patriotism. Keep writing, dear. 😊😊😊♥️♥️♥️🙏. Jai Hind.

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  2. बिल्कुल सही और सत्य लिखा है आपने। अगर संघ के उस समय लोग ना पहुंचते तो हो सकता है स्थिति कुछ अलग होती।बेहतरी।👌👌

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