स्वामी

“आज जरुर इस स्वामी से पूछना चाहिए कि वे कौन हैं,कहां से आए हैं और उनका असली नाम क्या है ??? ” मोतीलाल के मन में ये सवाल बहुत दिनों से अक्सर उठ रहा था।

बहुत साल पहले एक आदमी इनके गांव आया था और वहीं गांव के बाहर ही एक छोटी सी झोंपड़ी बनाकर वहीं बसने लगा। वह कभी भी गांव के अंदर नहीं गया। खेती के कामों में गांव वालों को मदद करता था। वेतन में पैसे नहीं लेता था सिर्फ खाना ही लेता था। सब लोग उसे स्वामी कहकर पुकारते थे।

मोतीलाल यह सब सोचते हुए उनके झोंपड़ी के पास आया। वहां स्वामी रस्सी के पलंग पर लेटकर मुस्कुरा रहा था। मोतीलाल को देखते ही उसे अंदर बुलाया। अंदर मोतीलाल को सिर्फ एक धोती के सिवा कुछ नहीं नजराया। उसने स्वामी से कहा, ” कल मैं अपने रिश्तेदार के यहां गया था। वह मरते वक्त में था और बहुत ही कष्ट अनुभव कर रहा था। मुझे अपनी मृत्यु की चिंता आ गई। मैं तो बिना कष्ट के मरना चाहता हूं। ” तब स्वामी ने अपने ऊपर की तौलिए को नीचे फेंककर उसे मोतीलाल के सामने ही जलाया। और मोतीलाल से उसके पास की बहुत ही पुराना वस्त्र को ऐसे ही जलाने को कहा।

मोतीलाल घर जाकर अपने बहुत साल पुराने कुर्ते को हाथ में लिया लेकिन वह अपने दादी की तोहफा थी। बहुत पुरानी होने पर भी उसे फेंकने को उसे मन नहीं था। वैसे ही हर एक कपड़े का कुछ कहानी था। दूसरे दिन वह स्वामी के पास आया और अपनी असहायता को बताया। स्वामी हंसते हुए कहा, “एक पुराने कपड़े को तुम फेंकने को तैयार नहीं हो, तो इस शरीर रूपी कपड़े को कैसे छोड़ सकते हो ???”

मोतीलाल उनसे अपने को अच्छी ज्ञान देने की प्रार्थना की। स्वामी ने उसे तीन तरह के सलाह दी। ” भूखे रहो। अकेले रहो। जागे रहो। ” भूखे रहने का मतलब , आध्यात्मिकता को सीखने के लिए तरसना। सबके साथ रहने पर भी अपने को अकेला में रहने की भावना को अपने अंदर ही महसूस करना। जागे रहने का मतलब है जैसे एक पुराने कपड़े को फेंकने को तैयार नहीं वैसे ही कितने जन्मों से कितने बंधनों से अपने को कैद करके रखें हैं। यह सोच हमेशा हमें जागे रखते हैं। यदि इन तीन विषयों को सदा के लिए याद करें तो सब कुछ आसान महसूस करेंगे।

ऐसे उत्तम चिंतन “ज्ञानी वल्ललार ” के उपदेश से ही उपलब्ध है।

वल्ललार

18 thoughts on “स्वामी”

  1. सत्य ज्ञान को दर्शाती कहानी। मोह निशा से जगाने वाली कहानी।
    बहुत बहुत धन्यवाद इस प्रेरणादायक कहानी को साझा करने के लिए ✨❣️😇

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    1. Yes, Ashish actually our Tamil Nadu is a land of spirituality. But , unfortunately ,for the past 50 yrs these dravida ruling parties are always doing propaganda, against our sanatana Dharma, for cheap political benefits.

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      1. तमिलनाडु में तो स्वयं श्रीहरि योगनिद्रा में विराजमान में तो वह धरती तो पावन ही पावन होगी। और भगवद् महापुराण में तो वर्णित ही है ब्राह्मण मेरा मुख है। चाहे जैसा भी हो।

        लेकिन द्रविड़ ब्राह्मण और कश्मीरी पंडितों का हाल देख बहुत दुख होता है। कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए अपनी ही जड़ों को काटना सही समझा है। बेहद दुखद हैं यह।

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  2. सत्य ज्ञान से परिपक्त शब्द हैं
    जो लिखे आपने थे कभी
    उत्तम रचना के साथ
    भाव सभी है
    जिन्हे,भक्ति भाव कहते सभी।।

    शानदार कहानी।।
    🙏🚩✡️🚩🙏

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