नवरात्रि के९ दिन तक देवी की पूजा करते हैं। प्रथम से त्रितीय दिन तक दुर्गा देवी की, चतुर्थी से षष्ठी तक लक्ष्मी देवी की और सप्तमी से नवमी तक सरस्वती देवी की पूजा करते हैं। दसमी का दिन है, विजय दशमी।
इसे शरन्नवरात्री भी कहते हैं।
इन दिनों में घर में भगवान के विभिन्न मूर्तियों को सजाते हैं। इसे #कोलू# कहते हैं।
यह सिर्फ औरतों को सम्मानित करने का त्योहार है।
इन दिनों में सहेलियों और रिश्तेदार स्त्रियों को अपने घर स्वागत करते हैं। भक्ति गीत गाते हैं।
चना दाल जैसे (sundal कहते हैं) दाने को प्रसाद के रूप में देते हैं। इसके अलावा अपने अपने ताकत की उपहार भी देते हैं।हर दिन सब घरों में महिलाओं का आना जाना बहुत ही आनंद दायक होती है।
यहाँ तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक में नवरात्रि उत्सव बडी ही उत्साह से मनाया जाता है।
लडकियों का भी इस त्योहार में हिस्सा होती है। वे अच्छी तरह सजधज कर औरों के घर जाकर उन्हें कुंकुंम देकर अपनी घर बुलाती हैं। कन्या लडकियों को देवी का स्वरूप माना जाता है।
नवमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। उस दिन बच्चे अपनेे पुस्तकों को भगवान के सामने रखकर पूजा करते हैं।
विजय दशमी के दिन बच्चे पढते हैं। यहाँ के स्कूलों में भी New admissions होती है। छोटे बच्चों को अक्षराभ्यास करवा के स्कूल में भरती करते हैं।