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एक रेस्टोरेन्ट में मैं बैठ कर काफी पीते हुए चारों तरफ अपना नजर घुमा रहा था।
अचानक एक तिलचट्टा उडते हुए आकर एक औरत के ऊपर बैठी, बस उस औरत ने डर के मारे चिल्ला चिल्लाकर हलचल मचा दी। अब वह तिलचट्टा उडकर और एक औरत के ऊपर बैठी । फिर से वही चिल्लाहट। तब वहाँ मौजूद एक बेरर उस औरत के पास जाकर खडा, अब वह तिलचट्टा बेरर के ऊपर चढी। बेरर चुपचाप इसकी गमन पर अपने लगन लगाया और जब वह एक स्थान पर रूकी तो तुरन्त उसे अपने हाथ में दबाए, होटल के बाहर फेंक दिया।
मैं काफी पीते हुए ये सारे हंगामा को देख रहा था। यदि इस हंगामा का वजह तिलचट्टा हो तो, वह बेरर शांतिपूर्ण कैसे हो सकता है?? तो उन महिलाओं के हंगामा का कारण तिलचट्टा नहीं बल्कि, उन्हें इस हालत को संभालने का तरीका शायद मालूम नहीं हो।
यदि मेरे अपने आफिस में या घर में या तो और कहीं भी किसी के साथ बहस के कारण मैं अपने शांति को खोया तो उसका कारण शायद यही हो सकता है, कि मुझे उस हालत को संभालने का तरीका महसूस न हो।
हमारे जिंदगी में परेशानियाँ और समस्याओं का कारण सिर्फ यही हो सकता है कि, हमें उनमें से सुझावा पाने के बिना कभी कभी अनजाने में उस हालत को और भी जटिल बनाकर बाद में पछताने लगते हैं।
अचानक होनेवाले घटनाओं को कोई भी अपने काबू में नहीं रख सकते हैं, लेकिन यदि सोचकर सावधानी के साथ संभालेंगे तो परेशानियों का सुझावा मिल जाता है।