कल मेरी बेटी के दोस्त लंच के लिए हमारे घर आए थे।
एक सिक्किम से और एक केरल से।
केरल का लडका उत्तर प्रदेश में कुछ साल पढा था इसलिए उसे हिन्दी में बात करने में कोई तकलीफ़ नहीं थी।
जब हम तीनों के बीच में बातचीत हिन्दी में चल रही थी , धीरे धीरे मेरी बेटी भी हिन्दी में बात करने लगी।
इस बात पर मुझे बेहद खुशी हुई कि , मैं उसकी कलीग्स के साथ मेरी बेटी से हिन्दी में ही बात करने की विनती की।
पारंपरिक दक्षिण भारत की दावत उन्हें भी पसंद हुई, जिससे मैं बिलकुल खुश हूँ।