पवित्र गोदावरी नदी के तट पर ‘नासिक और पंचवटी ‘ तीर्थ स्थल स्थित है। यहीं लक्ष्मण शूर्पणखा की नाक 👃को काटा था। नासिका (नाक) ही बाद में नासिक बन गई। यहीं से रावण ने सीता को उठाकर ले गया था। अब यह स्थान ‘तपोवन’ नाम से जाना जाता है। गोदावरी तट पर ‘ राम कुंड ‘ पर पितृ तर्पण करना विशेष माना जाता है। यहां के राम मंदिर के शिल्प काले पत्थर से बना है। और श्री राम को यहां “काला राम ” कहते हैं। यहां की “सीता गुफा ” के पास ५ बरगद के पेड़ एक दूसरे से खूब जुड़े हुए होते हैं। इसलिए यह “पंचवटी” नाम से प्रसिद्ध है। यहां के राम मंदिर को ” मुक्ति धाम ” कहते हैं। यह मंदिर ५० फुट चौड़ाई और १२५ फुट ऊंचाई के निर्मित है। बिना किसी भी तरह के स्तंभ से निर्मित यह मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बनाया गया है।
आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में स्थित भद्राचलम में ही भगवान श्री राम के द्वारा निर्मित पर्णकुटी आज भी एक पूजनीय स्थान है। दक्षिण भारत के गोदावरी नदी सप्त पुण्य नदियों में से एक है और यह एक लंबी नदी है। इसके किनारे पर स्थित कई राम मंदिर रामायण से जुड़े हुए हैं। यहां से कई रामभक्त गुजरते रहे हैं।
गौतम मुनि ने भगवान शिव की कृपा पाने के लिए तपस्या किए। शिव ने गंगा नदी को भूमि पर भेजे, जो गोदावरी नदी के रूप में आईं। गोदावरी माता के प्रार्थना के अनुसार भगवान शिव ने यहां त्र्यंबकेश्वर के रूप में दर्शन देते हैं। यही गोदावरी नदी “गो शाप” से मुक्त करती है और गौतमी नदी भी कहलाती है। इसे दक्षिण गंगा भी कहते हैं। यहां १४४ साल में एक बार महापुष्कर मनाया जाता है।