अनावश्यक सलाह

चिड़िए

एक पेड़ पर दो चिड़िया अपने घोंसले बनाकर रहा करते थे। एक दिन खूब बारिश हो रहा था। दोनों चिड़िया अपने घोंसले में आराम कर रहे थे। तभी उस पेड़ के नीचे एक बंदर आकर बैठी। वह बारिश में भीगी हुई थी। और सर्दी से कांप रही थी। इसे देखते ही चिड़िया को उस बंदर पर दया आई। उसने बंदर से कहा, ” बंदर भय्या, यदि तुम भी हमारे तरह खुद का एक घर बसा लेता तो इस तरह बारिश में भीगने की जरूरत ही नहीं होती।” मूर्ख बंदर को चिड़िए की बात पर नाराज़ आ गया। उसने तुरंत पेड़ पर चढ़कर चिड़िए की घोंसले को तोड डाला और हंसते हुए कहा कि, “मुझे उचित सलाह देते हो न, अब तुम भी मेरी तरह बारिश में भीगो। ”

मूर्खों का संग से हमें ही नुकसान होगा।

बंदर

अतुल्य मंत्र

भगवान श्रीराम हनुमान जी से एक अद्वितीय मंत्र का उपदेश देते हुए कहा कि, “इसे रहस्यमय रखना है और सिर्फ ज्ञानियों को ही बताना है।” अगले दिन बाहर के गलियों में से किसी प्रचारण की घोषणा सुनकर श्रीराम अपने राजमहल के छज्जे से झांका और चौंक गया।

हनुमानजी

उन्होंने नाराज होकर हनुमान को बुलाए ” हे,अंजनी-पुत्र!!! मैं ने तुमसे इस मंत्र का बोध सिर्फ ज्ञानियों को देने को कहा था, लेकिन तुम तो गलियों में ‌प्रचा‌र कर रहे हो “। तब हनुमानजी बड़ी ही विनम्रतापूर्वक श्रीरामजी को नमस्कार करते हुए कहा कि, ” मैं ने तो आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं और आपके वचन को मैं ने नहीं तोडा। आप ही मेरे घोषणा को सुने हुए लोगों को बुलाकर जांच कर लीजिए।”

श्रीराम ने कुछ लोगों को बुलाकर उनसे पूछा कि, “हनुमान के घोषणा से तुम लोगों को क्या समझ में आई???” इस प्रश्न का कई तरफ से कई तरह के उत्तर मिले। किसी ने कहा, “कुछ भी समझ में न आई।, हनुमान कुछ बकवास कर रहे थे।, और कोई ने कहा कुछ तो समझ न हुआ लेकिन बहुत ही मजेदार था। ” उसी समय वहां कुछ ज्ञानियों ने आकर कहें कि , ” हे, प्रभु!! हनुमानजी ने साधारण विषय नहीं बल्कि आत्मज्ञान का बोधन किया है। ” इससे हमें यह ज्ञात होता है कि, एक ही विषय लोगों के दिमाग के अनुसार ही उनके समझ भी होती है। जय श्रीराम। 🙏🙏🙏

नौ तरह के भक्ति 🙏

प्रह्लाद, भगवान पर श्रद्धा पूर्वक भक्ति दिखाने के बारे में जानकारी देते हैं।

श्रवणम् ; आध्यात्मिक विषयों को सुनना। परीक्षित महाराज भगवान के प्रशंसाओं को सदा सुनते रहते थे।

वचनम् ; भगवान के महत्व को कहने में , शुकमुनि के तरह कोई नहीं हो सकते हैं।

स्मरणम् ; प्रह्लाद , सर्वदा श्री महाविष्णु के स्मरण में ही अपने पूरी जिंदगी बिताए थे।

पादसेवनम् ; महाविष्णु की पत्नी, महालक्ष्मी ने अपनी हाथों से महाविष्णु के पांव दबाती रहती है।

अर्चना भक्ति ; ध्रुव के वंशज, पृदु चक्रवर्ती ने भगवान को कई तरह के फूलों से अर्चना करते थे।

स्नेह भक्ति; अर्जुन, भगवान श्री कृष्ण के एक बेहतरीन दोस्त की भूमिका निभाई।

दास भक्ति ; हनुमान जी, भगवान श्री राम के दास बनकर अपने अतीत भक्ति 🙏 का उत्तम उदाहरण बने हैं।

अर्पण भक्ति ; महाबली चक्रवर्ती, भगवान को सच्चे दिल से , अपने आप को ही अर्पित कर दिया था।

इस तरह ईश्वर – भक्ति 🙏 करने में हमें उदाहरण – पूर्वक भक्तों के बारे में जानकारी भक्त प्रह्लाद के द्वारा मिलती है। जय श्री कृष्ण। 🙏🙏🙏

अहोबिलम्।

लक्ष्मी-नरसिंह मूर्ति

आंध्र प्रदेश में स्थित अहोबिलम् श्री महाविष्णु के नरसिंह अवतार स्थल है। अपने अतीत भक्त प्रह्लाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए महाविष्णु ने नरसिंह अवतार धारण करके हिरण्यकश्यप का वध किया। क्रोध से शांत होने के बाद वहां बहती हुई नदी में अपने हाथ धोए। आज भी वहां नरसिंह स्वामी के हाथ धोए हुए भाग पानी में लाल रंग में होती है और उस भाग के आगे और पीछे का पानी बिना रंग की मामूली सी होती है।

नरसिंह के नौ तरह नाम: १) भार्गव नरसिंह,२) कारण नरसिंह, ३) योग नरसिंह, ४) छत्रवट नरसिंह, ५) क्रोडाकार नरसिंह, ६) मालोल नरसिंह, ७) पावन नरसिंह, ८) ज्वाला नरसिंह, ९) अहोबिल नरसिंह। इत्यादि।

मालोल नरसिंह मानें, मन को लुभाने वाला। नरसिंह स्वामी, चेंचुलक्ष्मी नाम के एक जनजाति के औरत से विवाह किए। अहोबिलम् = ‌महाबलम्। इस पहाड़ पर चढ़ना, तन-मन को शांत करती है। सर्वं कृष्णार्पणम्। 🙏🙏🙏

आरोप 👉👈

विष्णुवर्धन नामक एक राजा 👑 अपने देश में न्यायपूर्वक राज्यपालन कर रहा था। वह प्रतिदिन ब्राम्हणों को अन्नदान 🍚 दे रहा था। उसके राज्य में लोगों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं थी। वैसे ही मंदिर में एक त्योहार आई। राजा ने ब्राह्मणों को एक शानदार दावत देने का इंतजाम किया था। उसी समय एक गरूड़ 🦅 पक्षी रसोईयों के ऊपर से एक सांप 🐍 को अपने पंजों में दबाकर उड़ रही थी। अचानक सांप की मुंह से कुछ विष की बूंदें रसोई में गिरी। यह बात किसी को पता नहीं था। और उसी भोजन को ब्राम्हणों को परोसा गया। इस विषैल भोजन को खाकर सभी ब्राह्मण मर गए। इससे राजा बहुत दु:खी हो गया।

” इस कर्म के दंड किसे दिए जाय?? ” कर्म-फल लिखनेवाला चित्रगुप्त फैसला लेने में बहुत ही झंझट में पड़ गए। दंड गरूड़ पक्षी या सांप या राजा, किसे देना है??? गरूड़ पक्षी अपने आहार को लेकर उड़ रही थी, इसलिए वह निर्दोष है। सांप, गरूड़ पक्षी की आहार बन गई है, इसलिए वह भी निर्दोष है। राजा को यह बात मालूम नहीं था कि भोजन में विष मिली हुई है। इसलिए राजा को भी दोषी नहीं माना जाता है। आखिर चित्रगुप्त सीधा यमराज के पास जाकर अपने उलझन को सुनाया। यमराज कुछ देर सोचकर कुछ समय के लिए इंतजार करने को कहा।

कुछ दिन के बाद कुछ ब्राह्मण दूर देश से उस राज्य तक पहूंचे। वे राजा से मिलने के लिए राजा के भवन तक जाने की राह वहां मौजूद एक औरत से पूछे। उस औरत ने, उन्हें राह दिखाई और उनसे राजा से सावधानी से रहने की सलाह दी। औरत ने उनसे कहा कि, “यह राजा ब्राह्मणों को भोजन में विष मिलाकर मारता है। इसलिए तुम लोग सावधानी से रहो।”

चित्रगुप्त

अब चित्रगुप्त की परेशानी उलझ गई। ब्राह्मणों के मृत्यु के दंड इसी औरत को देने का फैसला किया। किसी को भी दोषी साबित करने से पहले सच्चाई को जानना अनिवार्य है। नहीं तो उस आरोप का पूरा दंड आरोप लगानेवाले को ही भुगतना पड़ता है।

खास बात। 😌

अनजान 🤔लोगों के नज़रों में हम मामूली सी लोग हैं। हमसे जलनेवाले😤 हमें घमंडी 🙄कहते हैं। हमें समझने 🤗वालों के नज़रों में हम सदा उत्तम 😇ही रहेंगे। हमें पसंद करने वालों के लिए हम कदापि 💖 खास होते हैं। स्वार्थी😛 लोग हमें बिलकुल हटाना 🫥 चाहते हैं। अवसरवादियों😵‍💫 के लिए हम डरपोक😰 हैं। दुष्टों👺 के नज़र में हम 🥴 मूर्ख हैं। नासमझ 🤭की दृष्टि में हम बुद्धि-हीन 😓 हैं। इस तरह हरेक के नज़र में हम अलग -अलग सा दीखते हैं। इसलिए किसी को भी हम तुष्ट🤗 करना छोड़कर, हम हम ही रहें। और सिर्फ अपने जीवन को, अपने इच्छा के अनुसार किसी को भी कष्ट दिए बिना जिएं। 👍💐

प्रदक्षिणा विधि

मंदिर के प्रांगणों को प्रदक्षिणा करते समय, इस मंत्र को जपते हुए प्रदक्षिण करना उचित होगा। ” यानि कानिच पापानि, जन्मान्तर कृतानि च, तानि -तानि विनश्यन्ति, प्रदक्षिण पदे पदे। ”

इसके फल : ३ बार प्रदक्षिण करने से मन की कामना पूरी होगी। ५ बार प्रदक्षिण करने से जीत मिलेगी। ७ बार प्रदक्षिण करने से अच्छे गुणवान होंगे। ९ बार प्रदक्षिण करने से संतान प्राप्ति होगी। ११ बार प्रदक्षिण करने से उम्र बढ़ती है। १३ बार प्रदक्षिण करने से संपत्ति मिलेगी। १०८ बार प्रदक्षिण करने से अश्वमेध यज्ञ 🔥 का फल मिलती है। जय श्री राम। 🙏 जय श्री कृष्ण 🙏

सरल – भक्ति

एकादशी के दिन श्री कृष्ण के दर्शन के लिए, भक्त जन और महर्षि लोग द्वारका पुर आए थे। तब श्री कृष्ण एक छोटी सी नाटक खेलना चाहे। उन्होंने अचानक अपने सर पकड़कर दर्द होने की भावना की। वैद्य आकर दवाइयां दी। फिर भी इनके इलाज नहीं कर पाए।

रुक्मिणी और सत्यभामा दोनों नारद मुनि के साथ श्री कृष्ण के पास जाकर उन्हीं से उनके सिरदर्द का इलाज करने का तरीका पूछे। श्रीकृष्ण ने कहा, ” अपने परम भक्त के पादों के धूली को लेकर माथे पर लगाना ही इसका एक ही इलाज हो सकता है।” इसे सुनकर दोनों औरतें हैरान हो गई और भगवान पर पादों की धूली को लगाना पाप समझकर चुप हो गई।

श्रीकृष्ण नारद मुनि से बृंदावन जाकर गोपियां से पूछने को कहा। नारद मुनि जब गोपियों से श्री कृष्ण के सरदर्द और उनके इलाज की बात बताई, तुरंत गोपियों ने अपने को यदि कोई पाप लग जाए या नरक प्राप्त हो जाए इसका चिंता न करके सिर्फ श्री कृष्ण के इलाज के लिए, सब मिलकर एक तौलिया पर चलकर, इसमें गिरी हुई धूली को एक गठरी में बांधकर श्रीकृष्ण के इलाज के लिए नारद मुनि को दे दिए। इसे लेकर नारद मुनि श्रीकृष्ण को दिए। श्रीकृष्ण इसे तुरंत अपने माथे पर लगाए और उनके सरदर्द भी दूर हो गई।

इसमें से दो विषय स्पष्ट होती है, एक भगवान भक्तों को दिया हुआ स्थान, दूसरा, भक्तों के भक्ति 🙏 का महत्व। जय श्री कृष्ण 🙏🙏🙏

हनुमान जी के अवतार

हनुमान के नौ तरह के अवतारों का वर्णन ।

पंचमुख हनुमान। लंका में रावण से युद्ध करते समय माया रूपी मयिलरावण, से राम- लक्ष्मण को बचाया।

निरुद्ध हनुमान। योद्धा रूपी हनुमान राम-रावण युद्ध में, युद्ध क्षेत्र , में शत्रुओं का नाश किया। इनके पूजन करने से जीवन की कठिनाईयों से छुटकारा मिलती है।

कल्याण हनुमान। जब हनुमान संजीव पर्वत को लेकर उड़ते हुए समुद्र को पार कर रहे थे तब, समुद्र में तैरती हुई एक मत्स्य कन्या के मुंह में उनके पसीना गिरी और वह एक बालक का जन्म भी दी। और एक कहानी भी है कि, बाद में उस कन्या से विवाह भी हुआ।

बाल-हनुमान। अंजनी-पुत्र हनुमान, अपनी माता के साथ बालक के रूप में होने वाले इस हनुमान की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है।

वीर हनुमान। हनुमान जी ऋषि -शाप के कारण अपने सारे शक्तियां भूल गई। तब लंका में सीताजी को देखने में तकलीफ़ महसूस करने लगे। उन्हें जांबवान ने अपने शक्तियों का याद दिलाए। तब उन्होंने विश्वरूप लिए। वे ही वीर हनुमान जी हैं।

भक्त हनुमान। हनुमान जी को वंदन करने वाले भक्तों को अपने दोनों हाथों को जोड़कर वंदन करते हुए दर्शन देते हैं। भगवान श्री राम को सभी रूपों में देखने के कारण वे अपने भक्तों को भी वंदन करते हैं।

योग हनुमान। भगवान श्री राम के नाम सदा सुनने के लिए हनुमान जी त्रेता- युग के बाद भी, इसी धरती पर ,चिरंजीवी बने रहे। वे योग मुद्रा में बैठकर श्री राम के स्मरण करते रहते हैं।

शिव प्रतिष्ठा हनुमान। रावण को मारने के कारण भगवान श्री राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लग गया। तब उससे मुक्त होने के नाते, भगवान शिव की आराधना करना था। हनुमान काशी से शिवलिंग लाने में देरी हो रही थी, इसलिए सीताजी ने, रेत के शिव मूर्ति को बनाकर दी और श्री राम ने उसकी पूजा करने लगे। हनुमान जी जब आकर देखे तो, अपने देरी पर दु:खी हो गए। लेकिन श्रीराम उस शिवलिंग का भी पूजन किए।

संजीव हनुमान। राम रावण युद्ध में लक्ष्मण घायल हो कर मूर्छित हो गए थे। तब हनुमान जी ने संजीव पर्वत को लाकर इसके जड़ीबूटियां से लक्ष्मण को बचाए।

सप्त चिरंजीवी

मंत्र- पठन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। हम किसी भी तरह की मरीज़ के इलाज को ध्यान में रखते हुए मंत्र पढ़ सकते हैं। आध्यात्मिकता में अंक सात को खास स्थान दिया गया है।

सप्त ऋषि, सप्त कन्या, सप्त स्वरम् (संगीत में), सप्त पदि ( विवाह में), सप्त सागर ; जैसे सात अंक को प्राध्यान्यता दिया गया है। इसी प्रकार सप्त चिरंजीवी भी प्रधान माने जाते हैं। वे ,हनुमान, विभीषण, मार्कण्डेय, महाबली चक्रवर्ती, परशुराम, वेद व्यास और अश्वत्थामा आदि। चिरंजीवी मानें , वे सदा के लिए जीवित ही रहते हैं।

“सप्त चिरंजीवी ” स्तोत्र करने से हम बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। ऊं श्री आंजनेयाय नमः। ऊं श्री परशुरामाय नमः। ऊं श्री मार्कण्डेयाय नमः। ऊं श्री बलिचक्रवर्त्याय नमः। ऊं श्री वेद व्यासाय नमः। ऊं श्री अश्वत्थामाय नमः। ऊं श्री विभीषणाय नमः। इस मंत्र को स्नान करके, उत्तर दिशा की ओर बैठकर , एक बर्तन में पानी रखकर, इसमें औषधीय दूर्वा घास को डालकर, २१ बार पढ़ना चाहिए। बाद में इस पानी को पीना चाहिए। खासकर बुधवार और शनिवार को पढ़ना और भी बहतरीन होगा। जय श्री राम। 🙏🙏🙏