शंकरामृतम् 🙏

श्रुति , स्मृति पुराणानाम् आलयम् करुणालयं। नमामि भगवत् पादम् शंकरम् लोकशंकरम्।।

एक मंदिर में एक महान आए थे। वे मंदिर से बाहर आते समय एक भिखारी उनसे पूछा ” स्वामी!! मेरा जीवन भीख मांगने में ही गुजर रही है। मुझे इससे मुक्ति पाने की उपाय दीजिए।” महान् ने शिवजी के दर्शन करके अपने परेशानी से दूर होने की सलाह दी।

भिखारी शिवजी को देखने निकला। रास्ते में रात होने के कारण एक धनी के घर के आंगन में एक रात के लिए ठहरने की इजाजत मांगी। धनी इजाजत देते हुए भिखारी के रवाने के बारे में पूछा। कारण जानकर धनी अपनी गूंगी बेटी कब सबकी तरह बात करेगी, इसके बारे में जानकारी लेकर आने के लिए विनती की।

बहुत दूर जाने के बाद रास्ते में एक बड़ी पर्वत उसके रास्ते के सामने खड़ा हुआ था। भिखारी को उसे पार करने में झंझट हो रहा था। तभी वहां एक जादूगर आया। वह भिखारी से ” मैं अपने मंत्र-दंड से इस पहाड़ को हटाकर तुम्हारे रास्ते को ठीक करूंगा। मैं ५०० सालों से जीवित हूं। तुम शिवजी से मेरे मुक्ति पाने का मार्ग पूछकर आना”। भिखारी ने मान लिया। और पर्वत हट जाने पर आगे बढ़ने लगा।

अब भिखारी को रास्ते में एक नदी पार करना पड़ा। नदी में एक कछुआ भिखारी को मदद करने के लिए आई। बदले में अपने को शिवजी से उड़ने की शक्ति देने की विनती की। और भिखारी को नदी पार करने में मदद की।

भिखारी शिवजी का दर्शन किया। शिवजी भिखारी को तीन वर प्रदान करने के लिए तैयार थे। भिखारी के तो चार मांग थे। वह सोच में पड़ गया। अंत में फैसला कर लिया कि, वह तो सदा की तरह भीख मांग कर जी लेगा। इसलिए अपने रास्ते में मदद किए लोगों के कामनाओं को पूरा करने के लिए शिवजी से विनती किया। शिवजी से वर पाकर वापस लौटा।

कछुए ने अपने वर के बारे में पूछा। जब कछुआ अपने खोल को छोड़ेगा उसे उड़ने की शक्ति मिलेगा। कछुए ने अपने खोल निकालकर भिखारी को दे दिया। उसमें मोती और मूंगा भरे थे। उसे लेकर भिखारी खुशी से चलने लगा। अब जादूगर आकर अपने बारे में पूछा। जादूगर से कहा कि, वह अपने मंत्र दंड छोड़ने पर उसे मुक्ति मिलेगी। जादूगर ने अपने मंत्र दंड भिखारी को देकर मुक्ति पाया। अब धनी के घर जाकर उससे कहा कि, उसकी बेटी अपने मन पसन्द आदमी को जब देखेगी तुरंत वह बात करने लगेगी। तभी उसकी बेटी ऊपर से आकर ” यह वही आदमी है न जो हमारे घर आया था।” इसे सुनकर धनी बहुत खुश होकर भिखारी से अपनी बेटी की शादी करवाई।

उस दिन से भिखारी धनी हो गया। मंत्र दंड, मोती – मूंगा और सुंदर पत्नी के साथ भर पूर जीवन जीने लगा। इस कहानी से हमें यह बोध मिलता है कि, हम परायों के लिए प्रार्थना करने से भगवान हम पर ज्यादा करूणामय हो जाते हैं।

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